Uttarakhand - Gahat (Kulath) Ki Dal I पथरी में अमृत है कुलथी

Uttarakhand - Gahat (Kulath) Ki Dal ( पथरी में अमृत है कुलथी )http://kbuttarakhand.blogspot.com


Uttarakhand - Gahat (Kulath) Ki Dal

Gahat Kulath ki Dal 

Brief : Dal arranged from Gahat, tempered with Gandharein ( Angelica Glabris), Asafoetida (Hing) and Cumin (Sauf) seeds 

Fixings 

1. Gahat ( Kulath) – 300 gms 

2. Turmeric – 1 Tea Spoon 

3. Rice Paste – 50 gms 

4. Coriander Powder – 1 Tea Spoon 

5. Red Chili Powder – 1 Tea Spoon 

6. Oil – 5 ml 

7. Ginger – 20 gms 

8. Asafoetida Pinch 

9. Garlic – 4-5 chips 

10. Cumin Seeds – ½ Tea Spoon 

11. Gandherin Small piece 

Strategy 

1. Boil Gahat grain and include Ginger, Garlic, Tumeric,Coriander,Chilli powder And Salt 

2. Add Rice glue and Cook for at some point 


3. Temper with cumin powder, Asafoetida and Gandharein.








DESCRIPTION OF Gahat Dal



Nuty from moisture.
ritional Content 
Our uncertified organic Gahat Dal is a storehouse of essential nutrition in the true sense of the term. The product contains rich amounts of protein along with dietary fiber. Those wishing to add Iron and Vitamin C to their existing dietary regimen can also opt for this product. Other than that, this particular cereal makes a great food during the chilly winters.
Health Benefits 
As a treasure trove of useful vitamins and minerals, our uncertified organic Gahat dal ensures umpteen health benefits. Regular consumptions will lead to improvements in blood sugar as well as blood glucose levels. Our Gahat Dal happens to be a unique product for women health. It offers relief for menstrual issues and irregular periods. Additionally, our uncertified organic Gahat Dal also helps in controlling cholesterol.
Ways to Relish
With Gahat Dal, you will have a wealth of choices in recipes. Mix it with bell peppers, tamarind paste, cumin and coriander leave for a tangy affair. Or you can also have the raw sprouts by sprinkling a bit of a salt and Chat masala.
Storage Tips 
Keep our Gahat Dal in a dry and cool place, awa





 ( पथरी में अमृत है कुलथी )

पथरी एक कष्‍टदायक रोग है। यह आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। आज भारत के प्रत्येक 2000 परिवारों में से एक परिवार इस पीड़ादायक स्थिति से पीड़ित है, लेकिन सबसे दु:खद बात यह है कि इनमें से कुछ प्रतिशत रोगी ही इसका सही से इलाज करवाते हैं। एलोपैथी में ऑपरेशन ही एक उपचार है। लेकिन कुलथी, इस रोग के लिए खास दवा है। 


कुलथी उड़द के समान होती है। यह देखने में लाल रंग की होती है, इसकी दाल बना कर रोगी को दी जाती है। इसे पथरीनाशक बताया गया है। गुर्दे की पथरी और गॉल पित्‍ताशय की पथरी के लिए यह फायदेमंद औषधि है। आयुर्वेद में गुणधर्म के अनुसार कुलथी में विटामिन ए पाया जाता। यह शरीर में विटामिन ए की पूर्ति कर पथरी को रोकने में मददगार है। बाजार में यह किसी भी किराने की दुकान में आसानी से मिल जाती है।

ज्‍यादा गर्मी के कारण हो सकती है किडनी में पथरी 




 कुलथी के सेवन से पथरी टूट कर या धुल कर छोटी होती है, जिससे पथरी सरलता से मूत्राशय में जाकर पेशाब के रास्‍ते से बाहर आ जाती है। मत्रल गुण होने के कारण इसके सेवन से पेशाब की मात्रा और गति बढ़ जाती है, जिससे रुके हुए पथरी कण पर दबाव ज्‍यादा पड़ने के कारण वह नीचे की ओर खिसक कर बाहर हो जाती है।




1 सेंटीमीटर से छोटी पथरी में यह सफल औषधि है। 25 ग्राम कुलथी को 400 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर 50-50 मिलीलीटर सुबह शाम एक माह रोगी को पिलाने से पेशाब के साथ निकल जाती है। लेने के पहले और बाद में अपनी जांच जरुर करवा लें, नतीजा सामने आ जाएगा। इसे अन्‍य दाल की तरह भी खाया जाता है। कुलथी 25 ग्राम लेकर मोटी-मोटी दरदरी कूटकर 16 गुने पानी में पकाएं, चौथा भाग पानी शेष रहने पर उतारकर छान लें, इसमें से 50 मिलीलीटर सुबह शाम लेते रहें। इसमें थोड़ा सेंधा नमक भी मिला दें।

पथरी दुबारा न हो: जिस व्‍यकित को पथरी एक बार हो जाती है, उसे फिर से होने का भय बना रहता है। इसलिए पथरी निकालने के बाद भी रोगी कभी-कभी इसका सेवन करते रहें। कुलथी पथरी में अमृत के समान है।




Comments

  1. We had an amazing time as a family at the Tehri Lake resort! We took in the stunning sunset over the lake while the kids played around.
    resort near tehri lake

    ReplyDelete

Post a Comment